आयुर्वेद अपनाये रोग भगायें

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कान के रोगों का अचूक औषधि - नीम



नीम कान के रोगों का अचूक औषधि है । 


नीम अमृत का दूसरा नाम है ।यह रोगों को सोख कर मनुष्य को दीर्घजीवी बनाता है ।नीम में अमृत के इतने गुण है की यह रोते को हंसा देती है और मरते को जीवित कर देती है ।यह वात - कफ साफ़ कर शरीर को निरोग कर देती है ।यह रक्त को धोती है । दाद खुजली का समूल नष्ट कर देती है ।पेट के कीड़े को मार देती है । नीम के पत्ते से अनाज में कीड़े नही लगते । कपड़े में इसके सूखे पत्ते रख दे तो कपड़े में कीड़े नही लगते ।इसमें इतने अधिक गुण भरे है की इसका बर्णन करना मुश्किल है । निम कमजोर को ताकतवर बना देता है । जो लोग सैकड़ो दवा खाकर निराश हो गए है वे लोग जरूर नीम के शरण में जाय ।यह निस्तेज को स्तेज बना देती है । आयुर्वेद में नीम एक ऐसी औषधि है जो सर्वगुण सम्पन्न है ।

 नीम द्वारा कान के रोगों के उपचार की विधि :-


 (1 ) कर्णशूल में :- इस रोग में कान में बहुत ही तेज दर्द होता है ।इसे दबाने से रोग और ही बढ़ जाता है । कच्ची निबौली की बिज को टिल के तेल में पक्का ले फिर इसमें फुलाया हुआ नीलाथोथा मिलाले इस तरह यह एक प्रकार से मल्हम सा हो जाएगा ।इस मल्हम को लगाने से कर्णशूल ठीक हो जाता है । 

( 2 ) कान के दर्द में -कान के अंदर मैल जम जाने के कारण , धूल चल जाने के कारण , कभी - कभी खुश्की के कारण कान में दर्द होने लगता है । इसके लिये नीम से बहुत ही कारगर उपचार किया जा सकता है । 

 प्रथम विधि - निम के पत्ता 25 ग्राम तथा नीलाथोथा ( तूतिया ) दोनों को पीस कर टिल के तेल में गर्म कर ले उसके बाद कपड़े से तेल को छान कर शीशी में रख ले ।उसके बाद सलाई के कांटी में रुई भिगो कर कान में लगाये । या रात को कान साफ़ करके दो बून्द डाले ।इसे नींद भी अच्छी आएगी ।और दो से तिन दिन में कान का दर्द बिलकुल ठीक हो जाएगा । 

दूसरी विधि - नीम के निबौली को सरसो के तेल में डाल औंट ली ।ठंडा हो जाने के बाद कान में दो दो बून्द डाले । दर्द बहुत ही जल्द ठीक हो जायेगा ।


 ( 3 ) कान में कीड़े का प्रवेश - कान में यदि कीड़ा चला गया हो तो निम के पत्ती की रस को गुनगुना कर कान में दो बून्द डाले ।इसे कीड़ा मर जायेगा । बाद में इसे सलाई से कीड़े को निकाल दे । 


 ( 4 ) कान के बहने पर -कान प्रायः बच्चों के बहने लगते है । जब कभी बच्चों को दांत निकलता है , मौसम बदलता है सर्दी - गर्मी के प्रभाव से कान बहने लगता है । या कान में फुंसी निकल गया हो या कान में मवाद भर गया हो । तो सरसो के 100 ग्राम तेल में 20 से 30 निम् के पत्ति डाल कर आग पर धीमी आंच में पकाये उसके बाद उसमे पिसी हुई थोड़ी से हल्दी डाल कर कुछ देर रहने दे । जब तेल ठंडा हो जाय तो तेल को छान क्र शीशी में भर ले । इस तेल को प्रतिदिन कान को साफ़ कर कान में डाले ।इसे कान का बहना रुक जाएगा । दुसरी विधि - निम् के तेल में थोड़ी सी शहद मिला कर कान में लगाये ।इसे कान का बहना रुक जाएगा साथ ही दुर्गन्ध भी दूर हो जाएगा ।

 ( 5 ) कान का सुन्न पड जाना -कान प्राय उच्ची आवाज , बन्दूक या पटाखे के आवाज , अत्यधिक चिंता या नशा का सेवन जैसे शराब , अफीम स्मैक आदि से कान सुन्न हो जाते है । इसके लिए नीम के पत्ती के रस को कान में डाले ।और चार पांच पती चबाले ।इसे कुछ ही दिनों में कान का सुन्न पड़ना ठीक हो जायेगा ।

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