आयुर्वेद अपनाये रोग भगायें

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पौरुष बल बढ़ाने के लिये आयर्वेद के इन नुस्खों को आजमायें


पौरुष बल को प्राप्त करने के लिये आयुर्वेद के इन नुस्खों को आजमायें

अश्वगन्धा (winter cherry ) अश्वगन्धा यह वर्ष ऋतू में स्वयं उग आता है ।यह मूलतः गर्म क्षेत्रो में पाया जाता है ।इसका पौधा लगभग डेढ़ मिटर ऊँचा हरा रोम युक्त होता है ।इसके फल लम्बे कवच वाले हरे रंग के व पकने पर लाल होता है ।इसके ताजे जड़ से घोड़े के पेशाब की तरह गन्ध आती है । इसीलिये इसे अश्वगन्धा कहते है ।इस पर सितम्बर से अप्रैल तक फूल - फल लगते है । यह लगभग पुरे विश्व में पाया जाता है ।इसे संस्कृत में पलाशपर्णी , अश्वगन्धा , पुष्टिदा हिंदी में- असगन्ध, असगन्धी ।लैटिन में विदानीय सोमनिफेरा के नामो से जाना जाता है ।इसे किराने के दूकान से खरीदे जा सकते है ।


अश्वगन्धा के फायदे - अश्वगन्धा गर्म , शक्तिवर्धक , स्तम्भक , वायु नाशक और शरीर को पुष्टि करने वाला है ।यह बीर्य बढ़ाता है और पर्याप्त ताकत देता है ।इसका सेवन पुरुष - स्त्री , बालक एवं बृद्ध सबके हितकर में है ।इसके सेवन कर अनेक रोगों को दूर किया जाता है । 

प्रयोग बिधि -

1 ) पौरुष बल बढ़ाने के लिए -सबसे पहले अश्वगन्धा के जड़ को कूट कर

चूर्ण बनाकर इसे कपड़ा से छान ले । अश्वगन्धा चूर्ण - 6 ग्राम शुद्ध देशी घि - 5 ग्राम और शहद - 10 ग्राम इन सब को एक ग्लास गुनगुने दूध के साथ रात को सोने से पहले ले । एक महीनो के प्रयोग से ही शारीरिक ताकत बढ़ जायेगी ।

 नोट - इसका प्रयोग गर्मियों में न करे ।

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